Wednesday 17 July 2013

किसी कारण पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click कर देखे !
http://www.youtube.com/watch?v=pWfljrsaBGM
सबसे पहले कुछ परहेज !

मित्रो जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं ! (काफी लोग पान मे डाल कर खा जाते हैं )
क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम का होना है | मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिक मात्रा मे कैलशियम है लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है वो अलग बात हे| इसलिए आप चुना खाना बंद कर दीजिए|

आयुर्वेदिक इलाज !
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पखानबेद नाम का एक पौधा होता है ! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है ! उसके 10 पत्तों को 1 से डेड गिलास पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले ! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म !! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती !!! आप दिन मे 3 बार पत्ते 3 पत्ते सीधे भी खा सकते हैं !


होमियोपेथी इलाज !
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अब होमियोपेथी मे एक दवा है ! वो आपको किसी भी होमियोपेथी के दुकान पर मिलेगी उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये दवा के आगे लिखना है MOTHER TINCHER ! ये उसकी पोटेंसी हे|
वो दुकान वाला समझ जायेगा| यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आइये| (स्वदेशी कंपनी SBL की बढ़िया असर करती है )

(ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पथरचट नाम के पोधे से बनी है बस फर्क इतना है ये dilutions form मे हैं पथरचट पोधे का botanical name BERBERIS VULGARIS ही है )

अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मे मिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है | चार बार अधिक से अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना है कभी कभी दो महीने भी लग जाते है |

इससे जीतने भी stone है ,कही भी हो गोलब्लेडर gall bladder )मे हो या फिर किडनी मे हो,या युनिद्रा के आसपास हो,या फिर मुत्रपिंड मे हो| वो सभी स्टोन को पिगलाकर ये निकाल देता हे|

99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी हो सकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े|तो आप दो महीने बाद सोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रह गया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए|यह दवा का साइड इफेक्ट नहीं है |

और यही दवा से पित की पथरी (gallbladder stones ) भी ठीक हो जाती है ! जिसे आधुनिक डाक्टर पित का कैंसर बोल देते हैं !
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ये तो हुआ जब stone टूट के निकल गया अब दोबारा भविष्य मे यह ना बने उसके लिए क्या??? क्योंकि कई लोगो को बार बार पथरी होती है |एक बार stone टूट के निकल गया अब कभी दोबारा नहीं आना चाहिए इसके लिए क्या ???

इसके लिए एक और होमियोपेथी मे दवा है CHINA 1000|
प्रवाही स्वरुप की इस दवा के एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंद सीधे जीभ पर डाल दीजिए|सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्य मे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा|

और एक बात इस BERBERIS VULGARIS से पीलिया jaundice भी ठीक होता है !


आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
एक बार यहाँ जरूर click करे !

http://www.youtube.com/watch?v=pWfljrsaBGM





Wednesday 26 June 2013

ये है देश के विनाश के आंकड़े ! जिसे सरकार विकास बताती है !
65 साल से रुपए का गिरता मूल्य ! �
1947 में 1 डालर = 1.00 रूपये
1966 में 1 डालर = 7.50 रूपये
1975 में 1 डालर = 8.40 रूपये
1984 में 1 डालर = 12.36 रूपये
1990 में 1 डालर = 17.50 रूपये
1991 में 1 डालर = 24.58 रूपये
1992 में 1 डालर = 28.97 रूपये
1995 में 1 डालर = 34.96 रूपये
2000 में 1 डालर = 46.78 रूपये
2001 में 1 डालर = 47.93 रूपये
2002 में 1 डालर = 48.98 रूपये
2003 में 1 डालर = 45.57 रूपये
2004 में 1 डालर = 43.84 रूपये
2005 में 1 डालर = 46.11 रूपये
2007 में 1 डालर = 44.25 रूपये
2008 में 1 डालर = 49.82 रूपये
2009 में 1 डालर = 46.29 रूपये
2010 में 1 डालर = 45.09 रूपये
2011 में 1 डालर = 51.10 रूपये
2012 में 1 डालर = 54.47 रूपये
2013 में 1 डालर = 60.50 रूपये

रुपए की कीमत गिरने से नुकसान कितना होता जानने के लिए यहाँ देखे !!





Monday 24 June 2013



श्री राजीव दीक्षित कहते है इन ६० सालो में नेताओ ने जो कला धन लूट के विदेशो में जमा किया है इसको वापस लाकर इससे विकास करना है देश का | इसको वापस लाने के चार रास्ते है :

१. पहला रास्ता है जिन बांको में ये धन जमा है उन बांको में ये धन निजी संपत्ति के रूप में जमा है अगर हम इस धन को रास्ट्रीय संपत्ति घोषित करा सके तोह ये धन किसी भी बैंक में जमा नही हो सकता ये वापस भारत में चला आयेगा किउंकि अंतरास्ट्रीय बैंकिंग व्यवस्था का एक नियम है के किसी भी देश की रास्ट्रीय संपत्ति उसी देश में जमा होती है वो जिस देश की होती है |

अब इस काम को करने के लिए दो संस्थाए हमारे पास है एक संसद और दूसरा सुप्रीम कोर्ट | सुप्रीम कोर्ट की ताकत है के वो किसी भी संपत्ति को रास्त्र की संपत्ति घोषित कर सकता है और एकबार किया भी था यूरिया घोटाले में और सुईस बैंक से पैसा वापिस भी आ गया था | भारत स्वाभिमान ने सुप्रीम कोर्ट में एक मुकद्दमा लगाया है के अगर यूरिया घोटाले का पैसा सुप्रीम कोर्ट ने रास्ट्र की संपत्ति घोषित किया था तोह चारा घोटाले का भी रास्ट्र की संपत्ति है, बोफोर्स घोटाले का भी रास्ट्र की संपत्ति है सभी घोटालो का पैसा रास्ट्र की संपत्ति है | और इस तर्क से अगर सुप्रीम कोर्ट सहमत हो जाये तोह सारे विदेशी बैंक में जमा कला धन को वो रास्ट्र की संपत्ति घोषित कर सकता है | ये घोषणा होते ही हम International court of justice में जा सकते है फैसले को ले कर और ICJ आर्डर करे तोह दुनिया की 70 देशो की बैंक को पैसा वापस करना पड़ेगा भारत को | BST का ये मुकद्दमा 6 महीने बाद स्वीकार हो गया है |

२. दूसरा रास्ता ये है के हम 4 सालो में संसद में एक प्रस्ताब पास करना चाहते है वो ये है के 15 Aug 1947 के बाद जितना भी धन भारत से बाहार गया वो भारत की रास्ट्रीय संपत्ति है बस | कोई तोह संसद मिलेगा जो ये प्रस्ताब संसद में रखेगा उस दिन बहस होगी और जो जो विरोध करगा पक्की बात होगी के पैसे उसी के है और सारा देश देखेगा बेईमान कौन कौन है संसद में | अगर डर के मरे विरोध नही करेगा तोह प्रस्ताब पास हो जायेगा फिर कानून बनेगा | अगर प्रस्ताब नही पास हुआ तोह बेईमानो को दुबारा चुनके नही भेजना है |

३. तीसरा एक रास्ता है हम पूरा काले धन का हिसाब ले कर International Court of Justice में जा सकते है और दुनिया के 70 देशो के खिलाफ प्रतिबन्ध लगा सकते है अमेरिका ने थोड़े देर पहले ऐसा किया | भारत भी ऐसा कर सकता है बस एक वीर नेता की जरुरत है |

४. क चौथा रास्ता है के हम खुद चाहे तोह सुइजरलैंड से दादागिरी करके पैसे ला सकते है सुइजरलैंड के पास न तोह आर्मी है ना एयर फोर्स है ना नेभल फोर्स है | छोटा सा देश है जनसँख्या भी बहुत कम है पोलीस भी नही है तो थोड़ी दादागिरी करो तोह दे देंगे |

और सबसे बड़ी बात के भबिश्य में ये पैसा फिर से ना बाहार जाये इसकी पक्की व्यवस्था करेंगे | http://youtu.be/7sQYxS1FgqI

श्री राजीव दीक्षित कहते है इन ६० सालो में नेताओ ने जो कला धन लूट के विदेशो में जमा किया है इसको वापस लाकर इससे विकास करना है देश का | इसको वापस लाने के चार रास्ते है :

१. पहला रास्ता है जिन बांको में ये धन जमा है उन बांको में ये धन निजी संपत्ति के रूप में जमा है अगर हम इस धन को रास्ट्रीय संपत्ति घोषित करा सके तोह ये धन किसी भी बैंक में जमा नही हो सकता ये वापस भारत में चला आयेगा किउंकि अंतरास्ट्रीय बैंकिंग व्यवस्था का एक नियम है के किसी भी देश की रास्ट्रीय संपत्ति उसी देश में जमा होती है वो जिस देश की होती है |

अब इस काम को करने के लिए दो संस्थाए हमारे पास है एक संसद और दूसरा सुप्रीम कोर्ट | सुप्रीम कोर्ट की ताकत है के वो किसी भी संपत्ति को रास्त्र की संपत्ति घोषित कर सकता है और एकबार किया भी था यूरिया घोटाले में और सुईस बैंक से पैसा वापिस भी आ गया था | भारत स्वाभिमान ने सुप्रीम कोर्ट में एक मुकद्दमा लगाया है के अगर यूरिया घोटाले का पैसा सुप्रीम कोर्ट ने रास्ट्र की संपत्ति घोषित किया था तोह चारा घोटाले का भी रास्ट्र की संपत्ति है, बोफोर्स घोटाले का भी रास्ट्र की संपत्ति है सभी घोटालो का पैसा रास्ट्र की संपत्ति है | और इस तर्क से अगर सुप्रीम कोर्ट सहमत हो जाये तोह सारे विदेशी बैंक में जमा कला धन को वो रास्ट्र की संपत्ति घोषित कर सकता है | ये घोषणा होते ही हम International court of justice में जा सकते है फैसले को ले कर और ICJ आर्डर करे तोह दुनिया की 70 देशो की बैंक को पैसा वापस करना पड़ेगा भारत को | BST का ये मुकद्दमा 6 महीने बाद स्वीकार हो गया है |

२. दूसरा रास्ता ये है के हम 4 सालो में संसद में एक प्रस्ताब पास करना चाहते है वो ये है के 15 Aug 1947 के बाद जितना भी धन भारत से बाहार गया वो भारत की रास्ट्रीय संपत्ति है बस | कोई तोह संसद मिलेगा जो ये प्रस्ताब संसद में रखेगा उस दिन बहस होगी और जो जो विरोध करगा पक्की बात होगी के पैसे उसी के है और सारा देश देखेगा बेईमान कौन कौन है संसद में | अगर डर के मरे विरोध नही करेगा तोह प्रस्ताब पास हो जायेगा फिर कानून बनेगा | अगर प्रस्ताब नही पास हुआ तोह बेईमानो को दुबारा चुनके नही भेजना है |

३. तीसरा एक रास्ता है हम पूरा काले धन का हिसाब ले कर International Court of Justice में जा सकते है और दुनिया के 70 देशो के खिलाफ प्रतिबन्ध लगा सकते है अमेरिका ने थोड़े देर पहले ऐसा किया | भारत भी ऐसा कर सकता है बस एक वीर नेता की जरुरत है |

४. क चौथा रास्ता है के हम खुद चाहे तोह सुइजरलैंड से दादागिरी करके पैसे ला सकते है सुइजरलैंड के पास न तोह आर्मी है ना एयर फोर्स है ना नेभल फोर्स है | छोटा सा देश है जनसँख्या भी बहुत कम है पोलीस भी नही है तो थोड़ी दादागिरी करो तोह दे देंगे |

और सबसे बड़ी बात के भबिश्य में ये पैसा फिर से ना बाहार जाये इसकी पक्की व्यवस्था करेंगे | http://youtu.be/7sQYxS1FgqI

मोटापा दूर करने के लिए..

मोटापा दूर करने के लिए

पहला प्रयोगः केवल सेवफल का ही आहार में सेवन करने से लाभ होता है।

दूसरा प्रयोगः अरनी के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस दिन में तीन बार पीने से स्थूलता दूर होती है।

तीसरा प्रयोगः चंद्रप्रभावटी की 2-2 गोलियाँ रोज दो बार गोमूत्र के साथ लेने से एवं दूध-भात का भोजन करने से 'डनलप' जैसा शरीर भी घटकर छरहरा हो जायेगा।

चौथा प्रयोगः आरोग्यवर्धिनीवटी की 3-3 गोली दो बार लेने से व 2 से 5 ग्राम त्रिफला का रात में सेवन करने से भी मोटापा कम होता है। इस दौरान केवल मूँग, खाखरे, परमल का ही आहार लें। साथ में हल्का सा व्यायाम व योगासन करना चाहिए।

पाँचवाँ प्रयोगः एक गिलास कुनकुने पानी में आधे नींबू का रस, दस बूँद अदरक का रस एवं दस ग्राम शहद मिलाकर रोज सुबह नियमित रूप से पीने से मोटापे का नियंत्रण करना सहज हो जाता है।

1 : नींबू
25 ग्राम नींबू के रस में 25 ग्राम शहद मिलाकर 100 ग्राम गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मोटापा दूर होता है।
एक नींबू का रस प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से मोटापे की बीमारी दूर होती है।।
1 नींबू का रस 250 ग्राम पानी में मिलाकर थोड़ा सा नमक मिलाकर सुबह-शाम 1-2 महीने तक पीएं। इससे मोटापा दूर होता है।
नींबू का 25 ग्राम रस और करेला का रस 15 ग्राम मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा नष्ट होता है।
250 ग्राम पानी में 25 ग्राम नींबू का रस और 20 ग्राम शहद मिलाकर 2 से 3 महीने तक सेवन करने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।
1-1 कप गर्म पीनी प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से शरीर की चर्बी कम होती है। इसके सेवन से चर्बी कम होने के साथ-साथ गैस, कब्ज, कोलाइटिस (आंतों की सूजन) एमोबाइसिस और कीड़े भी नष्ट होते हैं।

2 : सेब और गाजर
सेब और गाजर को बराबर मात्रा में कद्दूकस करके सुबह खाली पेट 200 ग्राम की मात्रा में खाने से वजन कम होता है और स्फूर्ति व सुन्दरता बढ़ती है। इसका सेवन करने के 2 घंटे बाद तक कुद नहीं खाना चाहिए।

3 : मूली
मूली का चूर्ण 3 से 6 ग्राम शहद मिले पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापे की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
मूली के 100-150 ग्राम रस में नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम और ग्राम यवक्षार के साथ खाकर ऊपर से शहद और नींबू का रस मिला हुआ एक गिलास पानी पीने से शरीर की चर्बी घटती है।
6 ग्राम मूली के बीजों के चूर्ण को 20 ग्राम शहद में मिलाकर खाने और लगभग 20 ग्राम शहद का शर्बत बनाकर 40 दिनों तक पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के चूर्ण में शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

4 : मिश्री
मिश्री, मोटी सौंफ और सुखा धनिया बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से अधिक चर्बी कम होकर मोटापा दूर होता है।

5 : चूना
बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।

6 : सहजन
सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।

7 : विजयसार
विजयसार के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

8 : अर्जुन
अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।

9 : भृंगराज
भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।

10 : शहद
120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।

11 : विडंग
विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है।
वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है।

12 : तुलसी
तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है।
तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।
तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।

13 : बेर
बेर के पत्तों को पानी में काफी समय तक उबालकर पीने से चर्बी नष्ट होती है।

14 : टमाटर
टमाटर और प्याज में थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर खाना खाने से पहले सलाद के रूप में खाने से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है।

15 : त्रिफला
रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है। त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें।
त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है।
2 चम्मच त्रिफला को 1 गिलास पानी में उबालकर इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
त्रिफला का चूर्ण और गिलोय का चूर्ण 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से पेट का बढ़ना कम होता है।

16 : हरड़
हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है।
हरड़ पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और इसे नहाने से पहले पूरे शरीर पर लगाकर नहाएं। इससे पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।
हरड़, बहेड़ा, आंवला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सरसों का तेल और सेंधानमक को एक साथ पीसकर 6 महीने तक लगातार सेवन करने से मोटापा, कफ और वायु रोग समाप्त होता है।

17 : सोंठ
सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है।
सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथ पीने से मोटापा कम होता है।

18 : गिलोय
गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने से मोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है।
गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।
गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है।

19 : जौ
जौ का रस व शहद को त्रिफले के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।
जौ को 12 घंटे तक पानी में भिगोकर सूखा लें और इसका छिलका उतारकर पीसकर एक कप दूध में खीर बनाकर प्रतिदिन सुबह कुछ दिनों तक खाने से कमजोरी दूर होती है।

20 : गुग्गुल
गुग्गुल, त्रिकुट, त्रिफला और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को अच्छी तरह एरण्ड के तेल में घोटकर रख लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मोटापा की बीमारी ठीक होती है।
1 से 2 ग्राम शुद्ध गुग्गुल को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से अधिक मोटापा कम होता है।

21 तिल
तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है।

22 : सरसो
सरसो के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से मोटापा नष्ट होता है।

23 : दही
दही को खाने से मोटापा कम होता है।

24 छाछ
छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

25 आलू
आलू को तलकर तीखे मसाले और घी में मिलाकर खाने से चिकनाई वाले पदार्थो के सेवन से उत्पन्न मोटापा दूर होता है।
आलू को उबालकर गर्म रेत में सेंकर खाने से मोटापा दूर होता है।

26 : अपामार्ग
अपामार्ग के बीजों को पानी में पकाकर खाने से भूख कम लगती है और चर्बी कम होने लगती है।

27 : कुल्थी
100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है।

28 : पीपल
4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।

29 : पालक
पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।

30 : पानी
भोजन से पहले 1 गिलास गुनगुना पानी पीने से भूख का अधिक लगना कम होता है और शरीर की चर्बी घटने लगती है।
बासी ठंडे पानी में शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से मोटापा में लाभ मिलता है।
250 ग्राम गुनगुने पानी में 1 नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट पीना चाहिए। इससे अधिक चर्बी घटती है और त्वचा का ढीलापन दूर होता है।

31 डिकामाली
डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है।

32 कूठ
कूठ को गुलाब जल में पीसकर पेट पर लेप करने से पेट की बढ़ती हुई अवस्था में लाभ होता है। इसका लेप हाथ, पांव पर लेप करने से सूजन कम होती है।

33 : माधवी
माधवी के फूल की जड़ 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम छाछ के साथ सेवन करने से कमर पतली व सुडौल होता है।

34 बरना
बरना के पत्तों का साग नियामित रूप से सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

35 : एरण्ड
एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
एरण्ड के पत्तों का रस हींग मिलाकर पीने और ऊपर से पका हुआ चावल खाने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।

36 : पिप्पली
पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ प्रतिदिन 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा समाप्त होता है।
पीप्पल 150 ग्राम और सेंधानमक 30 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर कूटकर 21 खुराक बना लें। यह दिन में एक बार सुबह खाली पेट छाछ के साथ सेवन करें। इससे वायु के कारण पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है।
पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबाल लें और दूध से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी लें। इससे मोटापा कम होता है।

37 जौखार
जौखार 35 ग्राम और चित्रकमूल 175 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। यह 5 ग्राम चूर्ण एक नींबू का रस, शहद और 250 ग्राम गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लगातार 40 दिनों तक पीएं। इससे शरीर की फालतू चर्बी समाप्त हो जाती है और शरीर सुडौल होता है।
जौखार का चूर्ण आधा-आधा ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

38 लुके मगसूल
50 ग्राम लुके मगसूल को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ सेवन करें। इससे मोटापा दूर होता है।

39 माजून मुहज्जिल
माजून मुहज्जिल 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ रात को सोते समय पीने से पेट का बढ़ना कम होता है।

40 बबूल
बबूल के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शरीर पर करने से त्वचा का ढीलापन दूर होकर मोटापा कम होता है।

41 : सुगन्धबाला
सुगन्धबाला, नागकेशर और मोतिया के पत्तों को बारीक पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।

42 : चित्रक
चित्रक की जड़ का बारीक चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पेट की बीमारियां और मोटापा समाप्त होता है।

43 : बेल
बेल के पत्तों के रस में शंख का चूर्ण मिलाकर लेप करने से शरीर के अन्दर से आने वाली बदबू कम हो जाती है।
बेल के पत्ते, काली अगर, खस, सुगन्धवाला और चंदन मिलाकर पीसकर शरीर पर लेप करने से शरीर की बदबू मिटती है।
बेल के पत्ते और हरड़ बारीक पीसकर लगाने से मोटापा दूर होता है।

44 : परवल
परवल और चीते का काढ़ा बनाकर सौंफ और हींग का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।

45 : समुद्रफेन
समुद्रिफेन को ब्राह्मी के रस में पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने की बदबू समाप्त होती है।

46 : हल्दी
हल्दी को दूध में मिलाकर शरीर पर लेप करने से लाभ होता है।

47 : असगंध
असगंध 50 ग्राम, मूसली 50 ग्राम और काली मूसली 50 की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और 10 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से मोटापे की बीमारी समाप्त होती है।

48 : अजवायन
अजवायन 20 ग्राम, सेंधानमक 20 ग्राम, जीरा 20 ग्राम और कालीमिर्च 20 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह खाली पेट छाछ के साथ पीएं। इससे शरीर की अधिक चर्बी नष्ट होती है।

49 : फलालैन
फलालैन का कपड़ा ढीला करके गले पर लपेटकर रखने से गले की अधिक चर्बी कम होती है।

50 : चावल
चावल का गर्म-गर्म मांड लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

51 : करेला
करेले के रस में 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है।

52 : चाय
चाय में पोदीना डालकर पीने से मोटापा कम होता है।

53 : दालचीनी
एक कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी का चूर्ण डालकर उबालतें और इसमें एक चम्मच शहद प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात को सोते समय खाएं। इससे शरीर का अधिक वनज कम होता है और मोटापा दूर होता है।

54 : रस
फलों का रस बहुत उपयोगी है। मोटापा कम करने के लिए 6 से 8 महीने तक फलों का रस लेना लाभदायक होता है। इसके सेवन से किसी भी प्रकार के दुष्परिणामों का सामना नहीं करना पड़ता। फलों का रस कैलोरी को कम करता है जिससे स्वभाविक रूप से वसा कम हो जाती है। इससे शरीर का वजन और मोटापा कम होता है। गाजर, ककड़ी, पत्तागोभी, टमाटर, तरबूज, सेब व प्याज का रस फायदेमंद होता है।

55 : धनिया
सूखा धनिया 10 ग्राम, गुलाब के सूखे फूल 20 ग्राम और मिश्री को मिलाकर चूर्ण बना लें और यह 2-2 चुटकी सुबह-शाम दूध के साथ लेने से चर्बी नष्ट होती है और मोटापा दूर होता है।

56 : छाछ
मोटापे से परेशान व्यक्ति को प्रतिदिन छाछ पीना चाहिए।

57 : ईसबगोल
ईसबगोल के नियमित सेवन करने से कोलेस्ट्राल नियंत्रित होता है और शरीर में अधिक चर्बी नहीं बनती।

58 : अनन्नास
प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है क्योंकि अनन्नास चर्बी को नष्ट करता है।

मोटापा कम करे यह स्पेशल चाय::

धनिया- इससे मोटापा कम होता है और पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। अदरक- इसमें जलन कम करने वाला यौगिक ओल्डेरोसिन होता है जो पाचनतंत्र की मांसपेशियों के लिए लाभदायक होता है। गुड़- गुड़ कैल्शियम का मुख्य स्रोत है।
मोटापा कम करे यह स्पेशल चाय एक चम्मच सूखा अदरक पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर, दो चम्मच गुड़, आधा चम्मच सौंफ, एक टी बैग और एक कप पानी। सौंफ को दो मिनट पानी में उबालिए और गर्म पानी में 1 मिनट के लिए टी बैग डालें। इससे फ्लेवर आ जाएगा। और चाय का स्वाद भी कुछ बदल जाएगा जो पीने में अच्छा लगेगा। आखिर में सारे पदार्थ इसमें मिला दें और गुड़ मिलाकर इसे घोलें। जब गुड़ मिल जाए तो स्वाद के साथ पीएं।



मालिश की भूमिका ::

सबसे पहले मोटापे से पीड़ित रोगी को समझा देना चाहिए कि जब तक आप अपने खान-पान में सुधार नहीं करेगें, तब तक आपका मोटापा दूर नहीं हो सकता है। सादा भोजन और व्यायाम शरीर में अधिक चर्बी को पिघलाता है। मालिश उसमें सहायता करती है और रोगी के शरीर मे कमजोरी नहीं आने देती है, साथ ही चर्बी घटने पर शरीर के मांस को ढीला नहीं पड़ने देती, बल्कि मालिश शरीर को मजबूत तथा आकर्षक बना देती है। इसलिए मोटापा कम करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने भोजन में सुधार करे तथा प्रतिदिन व्यायाम करें। ठण्डी मालिश मोटापा दूर करने में विशेष सहायता करती है, इसके अलावा तेल मालिश या सूखी मालिश भी की जा सकती है। वैसे तेल मालिश का उपयोग कम ही करें तो अच्छा है क्योंकि तेल की मालिश तभी अधिक लाभ देती है जब रोगी उपवास कर रहा हो।

देखा गया है कि मालिश में दलना, मरोड़ना, मांसपेशियों को मसलना, झकझोरना, खड़ी थपकी देना, तेज मुक्की देना और थपथपाना आदि विधियों के प्रयोग से शरीर की फालतू की चर्बी समाप्त हो जाती है।
ये क्रियाएं चर्बी कम करने में महत्त्वपूर्ण साबित होती है। इसके अलावा रोगी को प्रतिदिन 20 मिनट का कटि-स्नान तथा सप्ताह में 2 बार पूरी चादर का लपेट करना चाहिए (इसमें सारे शरीर को गीली चादर में लपेटकर फिर कंबलों से लपेटा जाता है।) इसके अलावा रोगी को कभी-कभी वाष्प-स्नान और `एपसम साल्ट बाथ´ देना चाहिए।

रोगी को उबली हुई सब्जियां, क्रीम निकला हुआ दूध, संतरा, नींबू आदि खट्टे फल तथा 1-2 चपाती नियमित रूप से कई महीने तक लेनी चाहिए। रोगी को तली और भुनी हुई चीजों को अपने भोजन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए। उपचार के दौरान रोगी को बीच-बीच में 1-2 दिन का उपवास भी रखना चाहिए। उपवास के दिनों में केवल नींबू पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। इस प्रकार के भोजन व उपचार से कुछ दिनों तक तो रोगी को कमजोरी महसूस होगी, परन्तु कुछ दिनों के अभ्यास से जब शरीर इसका आदि हो जाएगा, तब रोगी अपने को अच्छा महसूस करने लगेगा।

जिन लोगों को मोटापा थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण हो गया हो, उन्हें मोटापा दूर करने के लिए क्रीम निकले दूध के स्थान पर गाय का दूध पीना चाहिए, इससे रोगी को कोई नुकसान नहीं होगा। रोगी के लिए आवश्यक यह है कि वह एक समय में ही भोजन करे और सुबह और शाम 250 ग्राम से 300 ग्राम दूध के साथ कुछ फल भी ले, इससे रोगी को जल्दी लाभ होगा।

मोटापा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
1. इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने भोजन करने की आदत पर संतुलन करना चाहिए और इसके बाद प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।
2. शारीरिक रूप से नियमित व्यायाम करने से काफी हद तक इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
3. भूख से ज्यादा भोजन कभी नहीं करना चाहिए तथा शर्करा और चर्बी वाले पदार्थो का भोजन नहीं खाना चाहिए।
4. जहां तक हो सके तो भोजन में नमक का इस्तेमाल कम करना चाहिए। यदि नमक खाना भी है तो सेंधानमक का इस्तेमाल करना चाहिए।
5. अपने भोजन में साग-भाजी तथा हरी सब्जियों का रस ज्यादा लें। अंकुरित दालों का सेवन भी करते रहना चाहिए। अधिकतर गेहूं या चावल से बने पदार्थ ही खाएं। अपने आहार की मात्रा को घटाते रहना चाहिए, इससे चर्बी का बनना रुक जाता है।
6. वैसे कहा जाए तो उतना ही भोजन सेवन करना चाहिए जितनी की शरीर को आवश्यकता हो। प्रतिदिन सुबह के समय में खाली पेट स्वास्थ्य पेय या पानी में शहद व नीबू डालकर हल्का गर्म पानी पीएं। इससे कुछ दिनों में ही रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
7. तांबा-चांदी-सोना के बर्तन में पानी रखकर उसे गरम या गुनगुना करके पीने से शरीर की फालतू चर्बी कम हो जाती है।
8. मोटापा रोग से पीड़ित रोगी को एक गिलास पानी में तुलसी का रस मिलाकर पीना चाहिए तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी तथा इसके कुछ देर बाद पेट पर गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए। रोगी को एनिमा क्रिया करके अपने पेट को भी साफ करना चाहिए।
9. रोगी व्यक्ति को कुंजल क्रिया करके उसके बाद भाप स्नान करना चाहिए और सप्ताह में एक बार गीली लपेट का शरीर पर प्रयोग करना चाहिए तथा शंख प्रक्षालन, सूर्यस्नान, गर्म पादस्नान तथा सूखा घर्षण करना चाहिए। इससे मोटापा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
10. सूर्यतप्त नांरगी बोतल का पानी प्रतिदिन पीने तथा गहरी सांस लेते हुए सैर पर जाने और प्रतिदिन 2 मिनट तक ठहाके लगाकर हंसने से मोटापे का रोग ठीक होने लगता है।
11. मोटापे रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिसको करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन इस प्रकार हैं- भुजंगासन, शलभासन, वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन, उडि्डयान बंध, मूलबंध तथा सूर्य नमस्कार आदि।
12. रोगी व्यक्ति को रात को सोते समय तांबे के लोटे में पानी रखना चाहिए। इस पानी को सुबह के समय में पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।



मोटापा दूर करने के लिए 

पहला प्रयोगः केवल सेवफल का ही आहार में सेवन करने से लाभ होता है।

दूसरा प्रयोगः अरनी के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस दिन में तीन बार पीने से स्थूलता दूर होती है।

तीसरा प्रयोगः चंद्रप्रभावटी की 2-2 गोलियाँ रोज दो बार गोमूत्र के साथ लेने से एवं दूध-भात का भोजन करने से 'डनलप' जैसा शरीर भी घटकर छरहरा हो जायेगा।

चौथा प्रयोगः आरोग्यवर्धिनीवटी की 3-3 गोली दो बार लेने से व 2 से 5 ग्राम त्रिफला का रात में सेवन करने से भी मोटापा कम होता है। इस दौरान केवल मूँग, खाखरे, परमल का ही आहार लें। साथ में हल्का सा व्यायाम व योगासन करना चाहिए।

पाँचवाँ प्रयोगः एक गिलास कुनकुने पानी में आधे नींबू का रस, दस बूँद अदरक का रस एवं दस ग्राम शहद मिलाकर रोज सुबह नियमित रूप से पीने से मोटापे का नियंत्रण करना सहज हो जाता है।

1 : नींबू
25 ग्राम नींबू के रस में 25 ग्राम शहद मिलाकर 100 ग्राम गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मोटापा दूर होता है।
एक नींबू का रस प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से मोटापे की बीमारी दूर होती है।।
1 नींबू का रस 250 ग्राम पानी में मिलाकर थोड़ा सा नमक मिलाकर सुबह-शाम 1-2 महीने तक पीएं। इससे मोटापा दूर होता है।
नींबू का 25 ग्राम रस और करेला का रस 15 ग्राम मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा नष्ट होता है।
250 ग्राम पानी में 25 ग्राम नींबू का रस और 20 ग्राम शहद मिलाकर 2 से 3 महीने तक सेवन करने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।
1-1 कप गर्म पीनी प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से शरीर की चर्बी कम होती है। इसके सेवन से चर्बी कम होने के साथ-साथ गैस, कब्ज, कोलाइटिस (आंतों की सूजन) एमोबाइसिस और कीड़े भी नष्ट होते हैं।

2 : सेब और गाजर
सेब और गाजर को बराबर मात्रा में कद्दूकस करके सुबह खाली पेट 200 ग्राम की मात्रा में खाने से वजन कम होता है और स्फूर्ति व सुन्दरता बढ़ती है। इसका सेवन करने के 2 घंटे बाद तक कुद नहीं खाना चाहिए।

3 : मूली
मूली का चूर्ण 3 से 6 ग्राम शहद मिले पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापे की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
मूली के 100-150 ग्राम रस में नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम और ग्राम यवक्षार के साथ खाकर ऊपर से शहद और नींबू का रस मिला हुआ एक गिलास पानी पीने से शरीर की चर्बी घटती है।
6 ग्राम मूली के बीजों के चूर्ण को 20 ग्राम शहद में मिलाकर खाने और लगभग 20 ग्राम शहद का शर्बत बनाकर 40 दिनों तक पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के चूर्ण में शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

4 : मिश्री
मिश्री, मोटी सौंफ और सुखा धनिया बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से अधिक चर्बी कम होकर मोटापा दूर होता है।

5 : चूना
बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।

6 : सहजन
सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।

7 : विजयसार
विजयसार के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

8 : अर्जुन
अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।

9 : भृंगराज
भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।

10 : शहद
120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।

11 : विडंग
विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है।
वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है।

12 : तुलसी
तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है।
तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।
तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।

13 : बेर
बेर के पत्तों को पानी में काफी समय तक उबालकर पीने से चर्बी नष्ट होती है।

14 : टमाटर
टमाटर और प्याज में थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर खाना खाने से पहले सलाद के रूप में खाने से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है।

15 : त्रिफला
रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है। त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें।
त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है।
2 चम्मच त्रिफला को 1 गिलास पानी में उबालकर इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
त्रिफला का चूर्ण और गिलोय का चूर्ण 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से पेट का बढ़ना कम होता है।

16 : हरड़
हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है।
हरड़ पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और इसे नहाने से पहले पूरे शरीर पर लगाकर नहाएं। इससे पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।
हरड़, बहेड़ा, आंवला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सरसों का तेल और सेंधानमक को एक साथ पीसकर 6 महीने तक लगातार सेवन करने से मोटापा, कफ और वायु रोग समाप्त होता है।

17 : सोंठ
सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है।
सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथ पीने से मोटापा कम होता है।

18 : गिलोय
गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने से मोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है।
गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।
गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है।

19 : जौ
जौ का रस व शहद को त्रिफले के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।
जौ को 12 घंटे तक पानी में भिगोकर सूखा लें और इसका छिलका उतारकर पीसकर एक कप दूध में खीर बनाकर प्रतिदिन सुबह कुछ दिनों तक खाने से कमजोरी दूर होती है।

20 : गुग्गुल
गुग्गुल, त्रिकुट, त्रिफला और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को अच्छी तरह एरण्ड के तेल में घोटकर रख लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मोटापा की बीमारी ठीक होती है।
1 से 2 ग्राम शुद्ध गुग्गुल को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से अधिक मोटापा कम होता है।

21 तिल
तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है।

22 : सरसो
सरसो के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से मोटापा नष्ट होता है।

23 : दही
दही को खाने से मोटापा कम होता है।

24 छाछ
छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।

25 आलू
आलू को तलकर तीखे मसाले और घी में मिलाकर खाने से चिकनाई वाले पदार्थो के सेवन से उत्पन्न मोटापा दूर होता है।
आलू को उबालकर गर्म रेत में सेंकर खाने से मोटापा दूर होता है।

26 : अपामार्ग
अपामार्ग के बीजों को पानी में पकाकर खाने से भूख कम लगती है और चर्बी कम होने लगती है।

27 : कुल्थी
100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है।

28 : पीपल
4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।

29 : पालक
पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।

30 : पानी
भोजन से पहले 1 गिलास गुनगुना पानी पीने से भूख का अधिक लगना कम होता है और शरीर की चर्बी घटने लगती है।
बासी ठंडे पानी में शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से मोटापा में लाभ मिलता है।
250 ग्राम गुनगुने पानी में 1 नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट पीना चाहिए। इससे अधिक चर्बी घटती है और त्वचा का ढीलापन दूर होता है।

31 डिकामाली
डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है।

32 कूठ
कूठ को गुलाब जल में पीसकर पेट पर लेप करने से पेट की बढ़ती हुई अवस्था में लाभ होता है। इसका लेप हाथ, पांव पर लेप करने से सूजन कम होती है।

33 : माधवी
माधवी के फूल की जड़ 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम छाछ के साथ सेवन करने से कमर पतली व सुडौल होता है।

34 बरना
बरना के पत्तों का साग नियामित रूप से सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

35 : एरण्ड
एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
एरण्ड के पत्तों का रस हींग मिलाकर पीने और ऊपर से पका हुआ चावल खाने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।

36 : पिप्पली
पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ प्रतिदिन 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा समाप्त होता है।
पीप्पल 150 ग्राम और सेंधानमक 30 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर कूटकर 21 खुराक बना लें। यह दिन में एक बार सुबह खाली पेट छाछ के साथ सेवन करें। इससे वायु के कारण पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है।
पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबाल लें और दूध से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी लें। इससे मोटापा कम होता है।

37 जौखार
जौखार 35 ग्राम और चित्रकमूल 175 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। यह 5 ग्राम चूर्ण एक नींबू का रस, शहद और 250 ग्राम गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लगातार 40 दिनों तक पीएं। इससे शरीर की फालतू चर्बी समाप्त हो जाती है और शरीर सुडौल होता है।
जौखार का चूर्ण आधा-आधा ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

38 लुके मगसूल
50 ग्राम लुके मगसूल को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ सेवन करें। इससे मोटापा दूर होता है।

39 माजून मुहज्जिल
माजून मुहज्जिल 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ रात को सोते समय पीने से पेट का बढ़ना कम होता है।

40 बबूल
बबूल के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शरीर पर करने से त्वचा का ढीलापन दूर होकर मोटापा कम होता है।

41 : सुगन्धबाला
सुगन्धबाला, नागकेशर और मोतिया के पत्तों को बारीक पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।

42 : चित्रक
चित्रक की जड़ का बारीक चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पेट की बीमारियां और मोटापा समाप्त होता है।

43 : बेल
बेल के पत्तों के रस में शंख का चूर्ण मिलाकर लेप करने से शरीर के अन्दर से आने वाली बदबू कम हो जाती है।
बेल के पत्ते, काली अगर, खस, सुगन्धवाला और चंदन मिलाकर पीसकर शरीर पर लेप करने से शरीर की बदबू मिटती है।
बेल के पत्ते और हरड़ बारीक पीसकर लगाने से मोटापा दूर होता है।

44 : परवल
परवल और चीते का काढ़ा बनाकर सौंफ और हींग का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।

45 : समुद्रफेन
समुद्रिफेन को ब्राह्मी के रस में पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने की बदबू समाप्त होती है।

46 : हल्दी
हल्दी को दूध में मिलाकर शरीर पर लेप करने से लाभ होता है।

47 : असगंध
असगंध 50 ग्राम, मूसली 50 ग्राम और काली मूसली 50 की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और 10 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से मोटापे की बीमारी समाप्त होती है।

48 : अजवायन
अजवायन 20 ग्राम, सेंधानमक 20 ग्राम, जीरा 20 ग्राम और कालीमिर्च 20 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह खाली पेट छाछ के साथ पीएं। इससे शरीर की अधिक चर्बी नष्ट होती है।

49 : फलालैन
फलालैन का कपड़ा ढीला करके गले पर लपेटकर रखने से गले की अधिक चर्बी कम होती है।

50 : चावल
चावल का गर्म-गर्म मांड लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

51 : करेला
करेले के रस में 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है।

52 : चाय
चाय में पोदीना डालकर पीने से मोटापा कम होता है।

53 : दालचीनी
एक कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी का चूर्ण डालकर उबालतें और इसमें एक चम्मच शहद प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात को सोते समय खाएं। इससे शरीर का अधिक वनज कम होता है और मोटापा दूर होता है।

54 : रस
फलों का रस बहुत उपयोगी है। मोटापा कम करने के लिए 6 से 8 महीने तक फलों का रस लेना लाभदायक होता है। इसके सेवन से किसी भी प्रकार के दुष्परिणामों का सामना नहीं करना पड़ता। फलों का रस कैलोरी को कम करता है जिससे स्वभाविक रूप से वसा कम हो जाती है। इससे शरीर का वजन और मोटापा कम होता है। गाजर, ककड़ी, पत्तागोभी, टमाटर, तरबूज, सेब व प्याज का रस फायदेमंद होता है।

55 : धनिया
सूखा धनिया 10 ग्राम, गुलाब के सूखे फूल 20 ग्राम और मिश्री को मिलाकर चूर्ण बना लें और यह 2-2 चुटकी सुबह-शाम दूध के साथ लेने से चर्बी नष्ट होती है और मोटापा दूर होता है।

56 : छाछ
मोटापे से परेशान व्यक्ति को प्रतिदिन छाछ पीना चाहिए।

57 : ईसबगोल
ईसबगोल के नियमित सेवन करने से कोलेस्ट्राल नियंत्रित होता है और शरीर में अधिक चर्बी नहीं बनती।

58 : अनन्नास
प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है क्योंकि अनन्नास चर्बी को नष्ट करता है। 

मोटापा कम करे यह स्पेशल चाय::

धनिया- इससे मोटापा कम होता है और पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। अदरक- इसमें जलन कम करने वाला यौगिक ओल्डेरोसिन होता है जो पाचनतंत्र की मांसपेशियों के लिए लाभदायक होता है। गुड़- गुड़ कैल्शियम का मुख्य स्रोत है। 
मोटापा कम करे यह स्पेशल चाय एक चम्मच सूखा अदरक पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर, दो चम्मच गुड़, आधा चम्मच सौंफ, एक टी बैग और एक कप पानी। सौंफ को दो मिनट पानी में उबालिए और गर्म पानी में 1 मिनट के लिए टी बैग डालें। इससे फ्लेवर आ जाएगा। और चाय का स्वाद भी कुछ बदल जाएगा जो पीने में अच्छा लगेगा। आखिर में सारे पदार्थ इसमें मिला दें और गुड़ मिलाकर इसे घोलें। जब गुड़ मिल जाए तो स्वाद के साथ पीएं। 



मालिश की भूमिका ::

सबसे पहले मोटापे से पीड़ित रोगी को समझा देना चाहिए कि जब तक आप अपने खान-पान में सुधार नहीं करेगें, तब तक आपका मोटापा दूर नहीं हो सकता है। सादा भोजन और व्यायाम शरीर में अधिक चर्बी को पिघलाता है। मालिश उसमें सहायता करती है और रोगी के शरीर मे कमजोरी नहीं आने देती है, साथ ही चर्बी घटने पर शरीर के मांस को ढीला नहीं पड़ने देती, बल्कि मालिश शरीर को मजबूत तथा आकर्षक बना देती है। इसलिए मोटापा कम करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने भोजन में सुधार करे तथा प्रतिदिन व्यायाम करें। ठण्डी मालिश मोटापा दूर करने में विशेष सहायता करती है, इसके अलावा तेल मालिश या सूखी मालिश भी की जा सकती है। वैसे तेल मालिश का उपयोग कम ही करें तो अच्छा है क्योंकि तेल की मालिश तभी अधिक लाभ देती है जब रोगी उपवास कर रहा हो।

देखा गया है कि मालिश में दलना, मरोड़ना, मांसपेशियों को मसलना, झकझोरना, खड़ी थपकी देना, तेज मुक्की देना और थपथपाना आदि विधियों के प्रयोग से शरीर की फालतू की चर्बी समाप्त हो जाती है।
ये क्रियाएं चर्बी कम करने में महत्त्वपूर्ण साबित होती है। इसके अलावा रोगी को प्रतिदिन 20 मिनट का कटि-स्नान तथा सप्ताह में 2 बार पूरी चादर का लपेट करना चाहिए (इसमें सारे शरीर को गीली चादर में लपेटकर फिर कंबलों से लपेटा जाता है।) इसके अलावा रोगी को कभी-कभी वाष्प-स्नान और `एपसम साल्ट बाथ´ देना चाहिए।

रोगी को उबली हुई सब्जियां, क्रीम निकला हुआ दूध, संतरा, नींबू आदि खट्टे फल तथा 1-2 चपाती नियमित रूप से कई महीने तक लेनी चाहिए। रोगी को तली और भुनी हुई चीजों को अपने भोजन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए। उपचार के दौरान रोगी को बीच-बीच में 1-2 दिन का उपवास भी रखना चाहिए। उपवास के दिनों में केवल नींबू पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। इस प्रकार के भोजन व उपचार से कुछ दिनों तक तो रोगी को कमजोरी महसूस होगी, परन्तु कुछ दिनों के अभ्यास से जब शरीर इसका आदि हो जाएगा, तब रोगी अपने को अच्छा महसूस करने लगेगा।

जिन लोगों को मोटापा थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण हो गया हो, उन्हें मोटापा दूर करने के लिए क्रीम निकले दूध के स्थान पर गाय का दूध पीना चाहिए, इससे रोगी को कोई नुकसान नहीं होगा। रोगी के लिए आवश्यक यह है कि वह एक समय में ही भोजन करे और सुबह और शाम 250 ग्राम से 300 ग्राम दूध के साथ कुछ फल भी ले, इससे रोगी को जल्दी लाभ होगा।

मोटापा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
1. इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने भोजन करने की आदत पर संतुलन करना चाहिए और इसके बाद प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।
2. शारीरिक रूप से नियमित व्यायाम करने से काफी हद तक इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
3. भूख से ज्यादा भोजन कभी नहीं करना चाहिए तथा शर्करा और चर्बी वाले पदार्थो का भोजन नहीं खाना चाहिए।
4. जहां तक हो सके तो भोजन में नमक का इस्तेमाल कम करना चाहिए। यदि नमक खाना भी है तो सेंधानमक का इस्तेमाल करना चाहिए।
5. अपने भोजन में साग-भाजी तथा हरी सब्जियों का रस ज्यादा लें। अंकुरित दालों का सेवन भी करते रहना चाहिए। अधिकतर गेहूं या चावल से बने पदार्थ ही खाएं। अपने आहार की मात्रा को घटाते रहना चाहिए, इससे चर्बी का बनना रुक जाता है।
6. वैसे कहा जाए तो उतना ही भोजन सेवन करना चाहिए जितनी की शरीर को आवश्यकता हो। प्रतिदिन सुबह के समय में खाली पेट स्वास्थ्य पेय या पानी में शहद व नीबू डालकर हल्का गर्म पानी पीएं। इससे कुछ दिनों में ही रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
7. तांबा-चांदी-सोना के बर्तन में पानी रखकर उसे गरम या गुनगुना करके पीने से शरीर की फालतू चर्बी कम हो जाती है।
8. मोटापा रोग से पीड़ित रोगी को एक गिलास पानी में तुलसी का रस मिलाकर पीना चाहिए तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी तथा इसके कुछ देर बाद पेट पर गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए। रोगी को एनिमा क्रिया करके अपने पेट को भी साफ करना चाहिए।
9. रोगी व्यक्ति को कुंजल क्रिया करके उसके बाद भाप स्नान करना चाहिए और सप्ताह में एक बार गीली लपेट का शरीर पर प्रयोग करना चाहिए तथा शंख प्रक्षालन, सूर्यस्नान, गर्म पादस्नान तथा सूखा घर्षण करना चाहिए। इससे मोटापा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
10. सूर्यतप्त नांरगी बोतल का पानी प्रतिदिन पीने तथा गहरी सांस लेते हुए सैर पर जाने और प्रतिदिन 2 मिनट तक ठहाके लगाकर हंसने से मोटापे का रोग ठीक होने लगता है।
11. मोटापे रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिसको करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन इस प्रकार हैं- भुजंगासन, शलभासन, वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन, उडि्डयान बंध, मूलबंध तथा सूर्य नमस्कार आदि।
12. रोगी व्यक्ति को रात को सोते समय तांबे के लोटे में पानी रखना चाहिए। इस पानी को सुबह के समय में पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

Saturday 22 June 2013

Toothpaste नही नीम का दांतून करिए

हम लोग कभी भी कुछ भी खाते रहते हैं । ये कभी भी कुछ भी खाने पद्ध्ती भारत की नहीं है!!!





मित्रो हमारे देश मे 3000 साल पहले एक ऋषि हुए जिनका नाम था बागवट जी ! वो 135 साल तक जीवित रहे ! उन्होने अपनी पुस्तक अशटांग हिरद्यम मे स्वस्थ्य रहने के 7000 सूत्र लिखे ! उनमे से ये एक सूत्र राजीव दीक्षित जी की कलम से आप पढ़ें !
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बागवट जी कहते है, ये बहुत गहरी बात वो ये कहते है जब आप भोजन करे कभी भी तो भोजन का समय थोडा निश्चित करें । भोजन का समय निश्चित करें । ऐसा नहीं की कभी भी कुछ भी खा लिया । हमारा ये जो शरीर है वो कभी भी कुछ खाने के लिए नही है । इस शरीर मे जठर है, उससे अग्नि प्रदिप्त होती है । तो बागवटजी कहते है की, जठर मे जब अग्नी सबसे ज्यादा तीव्र हो उसी समय भोजन करे तो आपका खाया हुआ, एक एक अन्न का हिस्सा पाचन मे जाएगा और रस मे बदलेगा और इस रस में से मांस,मज्जा,रक्त,मल,मूत्रा,मेद और आपकी अस्थियाँ इनका विकास होगा ।

हम लोग कभी भी कुछ भी खाते रहते हैं । ये कभी भी कुछ भी खाने पद्ध्ती भारत की नहीं है, ये युरोप की है । युरोप में doctors वो हमेशा कहते रहते है की थोडा थोडा खाते रहो, कभीभी खाते रहो । हमारे यहाँ ये नहीं है, आपको दोनों का अंतर समझाना चाहता हूँ । बागवटजी कहते है की, खाना खाते का समय निर्धरित करें । और समय निर्धरित होगा उससे जब आप के पेट में अग्नी की प्रबलता हो । जठरग्नि की प्रबलता हो । बागवटजी ने इस पर बहुत रिसर्च किया और वो कहते है की, डेढ दो साल की रिसर्च के बाद उन्हें पता चला की जठरग्नि कौन से समय मे सबसे ज्यादा तीव्र होती है । तो वो कहते की सूर्य का उदय जब होता है, तो सूर्य के उदय होने से लगभग ढाई घंटे तक जठरग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होती है ।

मान लो अगर आप चेन्नई मे हो तो 7 बजे से 9 बजे तक जठरग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होगी । हो सकता है ये इसी सूत्रा अरूणाचल प्रदेश में बात करूँ तो वो चार बजे से साडे छह का समय आ जाएगा । क्यांे कि अरूणाचल प्रदेश में सूर्य 4 बजे निकल आता है । अगर सिक्कीम मे कहूँगा तो 15 मिनिट और पहले होगा, यही बात अगर मे गुजरात मे जाकर कहूँगा तो आपसे समय थोडा भिन्न हो जाएगा तो सूत्रा के साथ इसे ध्यान मे रखे । सूर्य का उदय जैसे ही हुआ उसके अगले ढाई घंटे तक जठर अग्नी सबसे ज्यादा तीव्र होती है । तो बागवटजी कहते है इस समय सबसे ज्यादा भोजन करें ।

बागवटजी ने एक और रिसर्च किया था, जैसे शरीर के कुछ और अंग है जैसे हदय है, जठर,किडनी,लिव्हर है इनके काम करने का अलग अलग समय है ! जैसे दिल सुबह के समय सबसे अधिक काम करता है ! 4 साढ़े चार बजे तक दिल सबसे ज्यादा सक्रीय होता है और सबसे ज्यादा heart attack उसी समय मे आते है । किसी भी डॉक्टर से पूछ लीजीए, क्योकि हदय सबसे ज्यादा उसी समय में तीव्र । सक्रीय होगा तो हदय घात भी उसी समय होगा इसलिए 99 % हार्ट अॅटॅक अर्ली मॉनिंग्ज मे ही होते है । इसलिए तरह हमारा लिव्हर किडनी है, एक सूची मैने बनाई है, बाहर पुस्तको मे है । संकेतरूप मे आप से कहता हूँ की शरीर के अंग का काम करने का समय है, प्रकृती ने उसे तय किया है । तो आप का जठर अग्नी सुबह 7 से 9.30 बजे तक सबसे ज्यादा तीव्र होता है तो उसी समय भरपेट खाना खाईए ।


ठीक है । फिर आप कहेगे दोपहर को भूख लगी है तो थोडा और खा लीजीए । लेकीन बागवट जी कहते है की सुबह का खाना सबसे ज्यादा । अगर आज की भाषा में अगर मे कहूँ तो आपका नाष्टा भरपेट करे । और अगर आप दोपहर का भोजन आप कर रहे है तो बागवटजी कहते है की, वो थोडा कम करिए नाश्ते से थोडा 1/3 कम कर दीजीए और रात का भोजन दोपहर के भोजन का 1/3 कर दीजीए । अब सीधे से आप को कहता हूँ । अगर आप सवेरे 6 रोटी खाते है तो दोपहर को 4 रोटी और शाम को 2 रोटी खाईए । अगर आप को आलू का पराठा खाना है आपकी जीभ स्वाद के लिए मचल रही है तो बागवटजी कहते है की सब कुछ सवेरे खाओ, जो आपको खानी है सवेरे खाओ, हाला की अगर आप जैन हो तो आलू और मूली का भी निषिध्द है आपके लिए फिर अगर जो जैन नहीं है, उनके लिए ? आपको जो चीज सबसे ज्यादा पसंद है वो सुबह आओ । रसगुल्ला , खाडी जिलेबी, आपकेा पसंद है तो सुबह खाओ । वो ये कहते हे की इसमें छोडने की जरूरत नहीं सुबह पेट भरके खाओ तो पेट की संतुष्टी हुई , मन की भी संतुष्टी हो जाती है ।


और बागवटजी कहते है की भोजन में पेट की संतुष्टी से ज्यादा मन की संतुष्टी महत्व की है।
मन हमारा जो है ना, वो खास तरह की वस्तुये जैसे , हार्मोन्स , एंझाईम्स से संचालित है । मन को आज की भाषा में डॉक्टर लोग जो कहते हैं , हाला की वो है नहीं लेकिन डाक्टर कहते हैं मन पिनियल गलॅंड हैं ,इसमे से बहुत सारा रस निकलता है । जिनको हम हार्मोन्स ,एंझाईम्स कह सकते है ये पिनियल ग्लॅंड (मन )संतुष्टी के लिए सबसे आवश्यक है , तो भोजन आपको अगर तृप्त करता है तो पिनियललॅंड आपकी सबसे ज्यादा सक्रीय है तो जो भी एंझाईम्स चाहीए शरीर को वो नियमित रूप मंे समान अंतर से निकलते रहते है । और जो भोजन से तृप्ती नहीं है तो पिनियल ग्लॅंड मे गडबड होती है । और पिनियल ग्लॅंड की गडबड पूरे शरीर मे पसर जाती है । और आपको तरह तरह के रोगो का शिकार बनाती है । अगर आप तृप्त भोजन नहीं कर पा रहे तो निश्चित 10-12 साल के बाद आपको मानसिक क्लेश होगा और रोग होंगे । मानसिक रोग बहुत खराब है । आप सिझोफ्रनिया डिप्रेशन के शिकार हो सकते है आपको कई सारी बीमारीया ,27 प्रकार की बीमारीया आ सकती है , । कभी भी भोजन करे तो, पेट भरे ही ,मन भी तृप्त हो । ओर मन के भरने और पेट के तृप्त होने का सबसे अच्छा समय सवेरे का है ।


अब मैने(राजीव भाई ने ) ये बागवटजी के सूत्रों को चारो तरफ देखना शुरू किया तो मुझे पता चला की मनुष्य को छोडकर जीव जगत का हर प्राणी इस सूत्रा का पालन कर रहा है । मनुष्य अपने को होशियार समझता है । लेकिन मनुष्य से ज्यादा होशियारी जीव जगत के प्राणीयों मे है । आप चिडीया को देखो, कितने भी तरह की चिडीये, सबेरे सुरज निकलते ही उनका खाना शुरू हो जाता है , और भरपेट खाती है । 6 बजे के आसपास राजस्थान, गुजरात में जाओ सब तरह की चिडीया अपने काम पर लग जाती है। खूब भरपेट खाती है और पेट भर गया तो चार घंटे बाद ही पानी पीती है । गाय को देखिए सुबह उठतेही खाना शुरू हो जाता है । भैंस, बकरी ,घोडा सब सुबह उठते ही खाना खाना शुरू करंगे और पेट भरके खाएँगे । फिर दोपहर को आराम करेंगे तो यह सारे जानवर ,जीवजंतू जो हमारी आँखो से दीखते है और नही भी दिखते ये सबका भोजन का समय सवेरे का हैं । सूर्योदय के साथ ही थे सब भोजन करते है । इसलिए, थे हमसे ज्यादा स्वस्थ रहते है ।

मैने आपको कई बार कहा है आप उस पर हँस देते है किसी भी चिडीया को डायबिटीस नही होता किसी भी बंदर को हार्ट अॅटॅक नहीं आता । बंदर तो आपके नजदीक है ! शरीर रचना मे बस बंदर और आप में यही फरक है की बंदर को पूछ है आपको नहीं है बाकी अब कुछ समान है । तो ये बंदर को कभी भी हार्ट अॅटॅक, डासबिटीस ,high BP ,नहीं होता ।


मेरे एक बहुत अच्छे मित्रा है, डॉ. राजेंद्रनाथ शानवाग । वो रहते है कर्नाटक में उडूपी नाम की जगह है वहाँपर रहते है । बहुत बडे ,प्रोफेसर है, मेडिकल कॉलेज में काम करते है । उन्होंने एक बडा गहरा रिसर्च किया ।की बंदर को बीमार बनाओ ! तो उन्होने तरह तरह के virus और बॅक्टेरिया बंदर के शरीर मे डालना शुरू किया, कभी इंजेक्शन के माध्यम से कभी किसी माध्यम से । वो कहते है, मैं 15 साल असफल रहाँ । बंदर को कुछ नहीं हो सकता । और मैने कहा की आप ये कैसे कह सकते है की, बंदर कुछ नहीं हो सकता , तब उन्हांने एक दिन रहस्य की बात बताई वो आपको भी ,बता देता हूँ । की बंदर का जो है न RH factor दुनिया में ,सबसे आदर्श है, और कोई डॉक्टर जब आपका RH factor नापता है ना ! तो वो बंदर से ही कंम्पेअर करता है , वो आपको बताता नहीं ये अलग बात है । कारण उसका ये है की, उसे कोई बीमारी आ ही नहीं सकती । ब्लड मे कॉलेस्टेरॉल बढता ही नहीं । ट्रायग्लेसाईड कभी बढती नहीं डासबिटीस कभी हुई नहीं । शुगर कितनी भी बाहर से उसके शरीर मे डंट्रोडयूस करो, वो टिकती नहीं । तो वो प्रोफेसर साहब कहते है की, यार ये यही चक्कर है ,की बंदर सवेरे सवेरेही भरपेट खाता है । जो आदमी नहीं खा पाता ।



तो वो प्रोफेसर रवींद्रनाथ शानवागने अपने कुछ मरींजों से कहा की देखो भया , सुबह सुबह भरपेट खाओ ।तो उनके कई मरीज है वो मरीज उन्हे बताया की सुबह सुबह भरपेट खाना खाओ तो उनके मरीज बताते है की, जबसे उन्हांने सुबह भरपेट खाना शुरू किया तो , डासबिटीस माने शुगर कम हो गयी, किसी का कॉलेस्टेरॉल कम हो गया, किसी के घटनों का दर्द कम हो गया कमर का दर्द कम हो गया गैस बनाना बंद हो गई पेट मे जलन होना, बंद हो गयी नींद अच्छी आने लगी ..... वगैरा ..वगैरा । और ये बात बागवटजी 3500 साल पहले कहते ये की सुबह की खाना सबसे अच्छा । माने जो भी स्वाद आपको पसंद लगता है वो सुबह ही खाईए ।

तो सुबह के खाने का समय तय करिये । तो समय मैने आपका बता दिया की, सुरज उगा तो ढाई घंटे तक । माने 9.30 बजे तक, ज्यादा से ज्यादा 10 बजे तक आपक भोजन हो जाना चाहिए । और ये भोजन तभी होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे । ये नाष्ता हिंदुस्थानी चीज नहीं है । ये अंग्रेजो की है और आप जानते है हमारे यहाँ क्या चक्कर चल गया है , नाष्टा थोडा कम, करेंगे ,लंच थोडा जादा करेंगे, और डिनर सबसे ज्यादा करेंगे । सर्वसत्यानाष । एकदम उलटा बागवटजी कहेते है की, नाष्टा सबसे ज्यादा करो लंच थोडा कम करो और डिनर सबसे कम करो । हमारा बिलकूल उलटा चक्कर चल रहा है !


ये अग्रेज और अमेरिकीयो के लिए नाष्टा सबसे कम होता है कारण पता है ??वो लोग नाष्टा हलका करे तो ही उनके लिए अच्छा है। हमारे लिए नाष्टा ज्यादा ही करना बहूत अच्छा है । कारण उसका एकही है की अंग्रेजो के देश में सूर्य जलदी नही निकलता साल में 8-8 महिने तक सूरज के दर्शन नहीं होते और ये जठरग्नी है । नं ? ये सूरज के साथ सीधी संबंध्ति है जैसे जैसे सूर्य तीव्र होगा अग्नी तीव्र होगी । तो युरोप अमेरिका में सूरज निकलता नहीं -40 तक . तापमान चला जाता है 8-8 महिने बर्फ पडता है तो सूरज नहीं तो जठरग्नी तीव्र नहीं हो सकती तो वो नाष्टा हेवियर नही कर सकते करेंगे तो उनको तकफील हो जाएँगी !

अब हमारे यहाँ सूर्य हजारो सालो से निकलता है और अगले हजारो सालों तक निकलेगा ! तो हमने बिना सोचे उनकी नकल करना शुरू कर दिया ! तो बाग्वट जी कहते है की, सुबह का खाना आप भरपेट खाईए । ? फिर आप इसमें तुर्क - कुतुर्क मत करीए ,की हम को दुनिया दारी संभालनी है , किसलिए ,पेट के लिए हीं ना? तो पेट को दूरूस्त रखईये , तो मेरा कहना है की, पेट दुरूस्त रखा तो ही ये संभाला तोही दुनिया दारी संभलती है और ये गया तो दुनिया दारी संभालकर करेंगे क्या?

मान लीजिए, पेट ठीक नहीं है , स्वास्थ ठीक नहीं है , आप ने दस करोंड कमा लिया क्या करेंगे, डॉक्टर को ही देगे ना ? तो डॉक्टर को देने से अच्छा किसी गोशाला वाले को दिजीए ;और पेट दुरूस्त कर लिजिए । तो पेट आपका है तो दुनिया आपकी है । आप बाहर निकलिए घरके तो सुबह भोजन कर के ही निकलिए । दोपहर एक बजे में जठराग्नी की तीव्रता कम होना शुरू होता है तो उस समय थोडा हलका खाए माने जितना सुबह खाना उससे कम खाए तो अच्छा है। ना खाए तो और भी अच्छा । खाली फल खायें , ज्यूस दही मठठा पिये । शाम को फिर खाये ।

अब शाम को कितने बजे खाएं ???

तो बाग्वट जी कहते हैं हमे प्रकति से बहूत सीखने की जरूरत हैं । दीपक । भरा तेल का दीपक आप जलाना शुरू किजीए । तो पहिली लौ खूप तेजी से चलेगी और अंतिम लव भी तेजी से चलेगी माने जब दीपक बूजने वाला होगा, तो बुझने से पहले ते जीसे जलेगा , यही पेट के लिए है । जठरग्नी सुबह सुबह बहूत तीव्र होगी और शमा को जब सूर्यास्त होने जा रहा है, तभी तीव्र होगी, बहुत तीव्र होगी । वो कहते है , शामका खाना सूरज रहते रहते खालो; सूरज डूबा तो अग्नी भी डूबी । तो वैसे जैन दर्शन में कहा है सभी भोजन निषेध् है बागवटजी भी यही कहते है ,तरीका अलग है ,बस । जैन दर्शन मे अहिंसा के लिए कहते है,वो स्वास्थ के लिए कहेते है । तो शाम का खाना सूरज डुबने की बाद दुनिया में ,कोई नहीं खाता । गाय ,भैंस को खिलाके देखो नहीं खाएगी ,बकरी ,गधे को खिलाके देखो, खाता नहीं । हा बिलकूल नहीं खाता । आप खाते है , तो आप अपने को कंम्पेअर कर लीजीए किस के साथ है आप ? कोई जानवर, जीवटाशी सूर्य डूबने के बाद खाती नही ंतो आप क्यू खा रहे है ?

प्रकृती का नियम बागवटजी कहते है की पालन करीए माना रात का खाना जल्दी कर दीजिए ।
सूरज डुबने के पहले 5.30 बजे - 6 बजे खायिए । अब कितना पहले ? बागवट जीने उसका कॅल्क्यूलेशन दिया है, 40 मिनिट पहले सूरज चेन्नई से शाम 7 बजे डूब रहा है । तो 6.20 मिनट तक हिंदूस्थान के किसी भी कोने में जाईए सूरज डूबने तक 40 मिनिट तक निकलेगा । तो 40 मिनिट पहले शाम का खाना खा लिजीए और सुबह को सूरज निकलने के ढाई घंटे तक कभी भी खा लीजीए । दोनो समय पेट भरके खा लिजिए । फिर कहेंगे जी रात को क्या ? तो रात के लिए बागवटजी कहेते है की, एक ही चीज हैं रात के लिए की आप कोई तरल पदार्थ ले सकते है । जिसमे सबसे अच्छा उन्होंने दूध कहा हैं । बागवटजी कहते है की, शाम को सूरज डूबने के बाद ‘हमारे पेट में जठर स्थान में कुछ हार्मोन्स और रस या एंझाईम पैदा होते है जो दूध् को पचाते है’ । इसलिए वो कहते है सूर्य डूबने के बाद जो चीज खाने लायक है वो दूध् है । तो रात को दूध् पी लीजीऐ । सुबह का खाना अगर आपने 9.30 बजे खाया तो 6.00 बजे खूब अच्छे से भूक लगेगी ।

फिर आप कहेंगे जी, हम तो दुकान पे वैठे है 6 बजे तो डब्बा मँगा लीजिए । दुकान में डिब्बा आ सकता है । हाँ दुकान में आप बैठे है, 6 बजे डब्बा आ सकता है और मैं आपको हाथ जोडकर आपसे कह रहाँ हूँ की आप मेरे से अगर कोई डायबिटीक पेशंट है, कोई भी अस्थमा पेशंट है, किसी को भी बात का गंभीर रोग है आज से ये सूत्रा चालू कर दिजीए । तीन महिने बाद आप खुद मुझे फोन करके कहंगे की, राजीव भाई, पहले से बहुत अच्छा हूँ sugar level मेरा कम हो रहा है ।
अस्थमा कम हो रहा है। ट्रायग्लिसराईड चेक करा लीजीए, और सूत्रा शुरू करे, तीन महीने बाद फिर चेक करा लीजीए, पहले से कम होगा, LDL बहुत तेजी से घटेगा ,HDL बढ़ेगा । HDL बढना चाहिए, LDL VLDL कम होना ही चाहिए । तो ये सूत्रा बागवटजी का जितना संभव हो आप ईमानदारी से पालन करिए वो आपको स्वस्थ रहने में बहुत मदद करेगा !!

पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !

Friday 21 June 2013


वैदिक और दुसरे पद्धति में होने वाले विवाह में जो पश्चिम की नक़ल है वो है ब्रास बंड बजाके बारात लेके जाना | ये पूरी की पूरी अंग्रेजो की नक़ल है | यूरोप में ये परंपरा है खास कर इंग्लॅण्ड में आयरलैंड में स्कॉट्लैंड में के ये ब्रास और बंड तब बजाया जाता है जब दुसमन पर हमला करनेके लिए जाया जाता है और सेना के आगे आगे चल के जाते है ताकि आर्मी में जोश भरे उत्साह भरे और दुसमन पर जाके टूट पड़े हमला करे | इहाँ मुर्ख भारतबासी शादियों में बारात में वो ब्रास बंड लेके जाते है पता नही किसपे हमला करने जा रहे है |

अंग्रेजो की आर्मी जब भारत में आयी उनके ब्रास बंड भी साथ में आयी और उनको भारतके राजाओ पर हमला करना होता था तब उनका ब्रास बंड बजता रहता था बाद में जब अंग्रेज गए वो ब्रास बंड को येही छोड गए और हमने उसको बजाना सुरु कर दिया शादी और बारातो में |

भारत में हर शुभ काम में शेहनाई बजती है तोह सहनाई बजाइए बांसुरी बजाइए पर बेसुरा ब्रास बंड बजाना बंध करिए सादियों में