Monday 6 May 2013




  













आ ज भारतीय लोकतंत्र में शासन व्यवस्था का राष्ट्रीय चरित्र 
संकट की स्थिति में है |

अपने कुकर्त्यो को छुपाने के लिए सरकार बहाना बनाकर यह दर्शाती है की हम तो पिछली सरकार की नीतियों का अनुसरण कर रहे है | अबोध व भला बुरा न समझने वाले जनमानस को बरगलाया जाता है | जो की एक तरह की बौद्धिक बेईमानी है |

प्राचीन भारत में युधिष्ठर ने भीष्म पितामह से शासन तंत्र के बारे में एक प्रश्न किया, उसका उत्तर इस प्रकार है - " राजा विहीन राज्य वैसा होता है जैसे वनस्पति विहीन जंगल, जिसमे जल रहित नदी हो और रक्षक विहीन पशु
वृंद | इसलिए मनुष्य को पहले अपना राजा चुनना चहिये, फिर पत्नी, उसके बाद धन संचय करना चाहिए, क्योंकि बिना राजा के इस दुनिया में पत्नी और संम्पति की रक्षा भला कैसे संभव होगी " ?

इसके बड़े गहन गुडार्थ है - " अराजकता समाप्त कर सामाजिक व नैतिक व्यवस्था कायम करने के लिए शासन तंत्र का होना अति आवश्यक है जिसमे राजा मनसा, वाचा, कर्मणा से राष्ट्र रक्षा का दायित्व निभाए " |

इसलिए जब कभी भी वोट देने का अवसर आये तब हमारा प्रथम कर्तव्य है के राष्ट्र हित के लिए हि अपना वोट करे | वोट देते समय जाति व समुदाय से ऊपर उठकर राष्ट्र कर्तव्य के लिए वोट अवश्य डाले |

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